धनतेरस 2023 - शुभ मुहूर्त
धनतेरस :
भारतीय हिन्दू परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल दीपावली के 2 दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार धन, संपत्ति, धन की वृद्धि और खुशियों की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
धनतेरस का शाब्दिक अर्थ 'धन' और 'तेरस' से आया है। इस दिन को लोग अपनी संपत्ति और विभिन्न धन के लिए पूजा करते हैं, और नई चीजें खरीदते हैं।
इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे धन, संपत्ति और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है। यह दिन लक्ष्मी माता की कृपा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, और लोग अपनी धन की वृद्धि के लिए नई चीजें खरीदने के साथ-साथ धनतेरस की पूजा करते हैं। यह धार्मिकता के साथ-साथ व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोग इस दिन नए धन के लिए निवेश भी करते हैं। धनतेरस भारतीय समुदाय में बड़ी ही उत्सुकता और आनंद के साथ मनाया जाता है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर को दोपहर में 12 बजकर 35 मिनट से होगा। यह तिथि अगले दिन 11 नवंबर को दोपहर में 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। चूंकि धनतेरस का त्योहार प्रदोष काल में मनाने की परंपरा है, इसलिए यह शु्क्रवार को 10 नवंबर को मनाई जाएगी। इस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 47 से शुरू होगा और यह यह शाम को 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस हिसाब से धनतेरस के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि कुल एक घंटा 56 मिनट की होगी। इसी दौरान यमदीप भी जलाना शुभ होगा।
धनतेरस को मनाने के लिए कुछ प्रमुख तरीके हैं जो आप अपना सकते हैं:
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लक्ष्मी पूजन: धनतेरस के दिन, लक्ष्मी माँ की पूजा करें। घर को साफ-सुथरा करें, उसे सजाएं और उसमें दीपक जलाएं। लक्ष्मी माँ की मूर्ति या छवि को स्थान दें और पूजा करें।
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धनतेरस की खरीदारी: इस दिन सोना, चांदी, नए वस्त्र, या कोई भी नई चीजें खरीदें। धनतेरस पर धन की वृद्धि के लिए इन चीजों की खरीदारी को शुभ माना जाता है।
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धनतेरस के दीप जलाना: इस दिन घर के अंदर-बाहर दीपक जलाएं। यह सुन्दरता और खुशियों को घर में लाता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
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कलश पूजन: कुछ लोग इस दिन कलश का पूजन करते हैं। एक कलश में पानी भरकर उसे सजाकर पूजन करें, इसे धनतेरस की शुभता का प्रतीक माना जाता है।
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धनतेरस की मिठाई: इस अवसर पर मिठाई बनाएं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाँटें। इससे आपके घर में खुशियों का माहौल बनेगा।
धन्वंतरि कथा:
कहते हैं, काल युग में, भगवान विष्णु के द्वारपाल थे, जिन्हें धन्वंतरि कहा जाता था। वे अवतार थे और उन्होंने मानवता को आयुर्वेद शास्त्र का ज्ञान दिया था।
समुद्र मंथन के समय, देवताओं और असुरों ने समुद्र को हिलाकर नामधेय अमृत प्राप्त करने का प्रयास किया था। समुद्र मंथन के दौरान, धन्वंतरि भगवान विष्णु के सहायक रूप में प्रकट हुए और अमृत कलश को संभालकर दिए।
इस समय, धन्वंतरि ने चारों हाथों में अमृत कलश लेकर, सारे लोकों को समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए वैद्यकीय विज्ञान दी।
उन्होंने उन्हीं वैद्यकीय विज्ञान को अपनाया और सिखाया, जिससे मानव जाति को स्वास्थ्य, चिकित्सा, और आयुर्वेदिक उपचारों का ज्ञान मिला।
धन्वंतरि की कथा से यह प्रमाणित होता है कि वे स्वास्थ्य, उपचार, और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। लोग उनके आशीर्वाद को स्वास्थ्य और चिकित्सा में शुभ कार्यों के लिए प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
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